आस्था और चमत्कार का अलौकिक धाम! खाटू श्याम जी मंदिर


Author : Vikas Julana

Published On : 25 Apr 2025


श्री खाटू श्याम जी को कलियुग के देवता के रूप में पूजा जाता है। इनका मूल नाम बर्बरीक था, जो महाभारत काल के महान योद्धा और भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे।



श्री खाटू श्याम जी

बर्बरीक का जन्म

बर्बरीक महाभारत के महान योद्धा गदाधारी भीम के पौत्र तथा घटोताकच और नागकन्या अहिलवती के पुत्र थे। उन्हें उनकी माता ने नागलोक की दिव्य विद्याओं का ज्ञान दिया था। वे त्रिकालदर्शी थे और महादेव से वरदान प्राप्त कर चुके थे।


तीन अमोघ बाणों का वरदान

बर्बरीक ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर उनसे तीन अमोघ बाण प्राप्त किए थे, जिनकी शक्ति से वे किसी भी युद्ध को पल भर में समाप्त कर सकते थे। उन्हें यह आशीर्वाद भी प्राप्त था कि वे सदैव पराजित पक्ष का साथ देंगे।


श्रीकृष्ण से भेंट

महाभारत युद्ध में भाग लेने के लिए जब बर्बरीक चले तो भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण वेश में उनका मार्ग रोका और उनसे पूछा कि वे किस ओर से युद्ध करेंगे। बर्बरीक ने उत्तर दिया कि वे पराजित पक्ष की ओर से युद्ध करेंगे। श्रीकृष्ण को ज्ञात था कि यदि बर्बरीक युद्ध में शामिल होते तो पांडव हार जाते।


शीश दान और खाटू श्याम अवतार

श्रीकृष्ण ने बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए उनसे उनके तीन बाणों की शक्ति का परिचय मांगा। जब बर्बरीक ने दिखाया कि वे केवल एक ही बाण से पूरे युद्ध को समाप्त कर सकते हैं, तो श्रीकृष्ण ने उनसे शीश दान (सिर का बलिदान) मांगा। बर्बरीक ने सहज ही अपना शीश दान कर दिया।

बलिदान के बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि कलियुग में वे “श्याम” नाम से पूजे जाएंगे और जो भी सच्चे हृदय से उनकी आराधना करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।


कैसे हुई खाटू श्याम मंदिर की स्थापना?

यह कथा महाभारत युद्ध के बाद की है। मान्यता है कि बर्बरीक का शीश जहां गिरा था, वह स्थान अज्ञात रहा। सदियों बाद, कलियुग में जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ा, तो एक चमत्कारी घटना घटी। राजस्थान के खाटू गाँव में एक चरवाहा अपने पशुओं को चराने ले गया। अचानक उसका एक बैल ज़मीन खोदने लगा। जब ग्रामीणों ने उस स्थान की खुदाई की, तो वहाँ से एक दिव्य शीश (सिर) निकला, जो अद्भुत तेज़ से चमक रहा था। इस घटना से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। उस समय के स्थानीय राजा रूप सिंह चौहान ने सपने में भगवान श्याम को देखा, जिन्होंने आदेश दिया कि उनका एक भव्य मंदिर बनाया जाए। राजा ने तुरंत इस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और उस शीश को स्थापित करवा दिया। यह मंदिर खाटू श्याम जी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।


श्री खाटू श्याम जी मंदिर का परिचय

श्री खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के वरदानी भक्त बर्बरीक (श्याम बाबा) को समर्पित है, जिन्हें “हारे का सहारा” कहा जाता है।


मंदिर का इतिहास

यह मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। मान्यता है कि विजय सिंह शेखावत नामक राजा ने एक स्वप्न के आधार पर इस स्थान पर खुदाई करवाई, जहाँ उन्हें बर्बरीक का दिव्य शीश प्राप्त हुआ। इसके बाद इसे मंदिर में स्थापित किया गया। यहाँ आने वाले कई भक्तों ने अपने जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन की अनुभूति की है।


मंदिर की वास्तुकला

खाटू श्याम जी के प्रमुख उत्सव

विशेष मान्यताएँ
कैसे पहुँचें?

बीर बबरान मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

बीर बबरान मंदिर, हरियाणा के हिसार जिले के बीर बबरान गाँव में स्थित है। यह मंदिर खाटू श्याम जी (बर्बरीक) को समर्पित है और इसका ऐतिहासिक संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।

महाभारत से संबंध

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

विशेष धार्मिक आयोजन

कैसे पहुँचें?

बीर बबरान मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि महाभारत की ऐतिहासिक धरोहर भी है। यहाँ आकर भक्तों को आध्यात्मिक शांति और बाबा श्याम की कृपा प्राप्त होती है। क्या आप इस मंदिर के दर्शन की योजना बना रहे हैं?

चुलकाना धाम

चुलकाना धाम का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व इसे श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाता है, जहाँ आकर भक्तजन आध्यात्मिक आनंद और शांति का अनुभव करते हैं।

चुलकाना धाम हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा तहसील में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जो श्री खाटू श्याम जी (बर्बरीक) को समर्पित है। यह स्थान महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और इसे कलियुग का सर्वोत्तम तीर्थ माना जाता है।

धार्मिक महत्व

चुलकाना धाम में हर एकादशी और द्वादशी को विशेष मेलों का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में श्री श्याम बाबा के साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जैसे हनुमान जी, श्रीकृष्ण, बलराम, और शिव परिवार। यह स्थान भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और मनोकामना पूर्ति का केंद्र माना जाता है।

कैसे पहुँचें